आज के इस पोस्ट में जानेंगे कि बादल क्यो और कैसे फटता है और हम यह भी जानेगे कई बार ऐसा होता है कि हमें देखने पर जो अनुभव होता है, वास्तविकता उससे बिलकुल भिन्न होती है।क्यों?

1.बादल क्यों और कैसे फटता है?


 बादल फटना, बारिश का एक चरम रूप है। इस घटना में बारिश के साथ कभी-कभी गरज के साथ ओले भी पड़ते हैं। सामान्यत: बादल फटने के कारण सिर्फ कुछ मिनट तक मूसलधार बारिश होती है लेकिन इस दौरान इतना पानी बरसता है कि क्षेत्र में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। बादल फटने की घटना अमूमन पृथ्वी से 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर घटती है। इसके कारण होने वाली वर्षा लगभग 100 मिलीमीटर प्रति घंटा की दर से होती है। कुछ ही मिनट में 2 सेंटी मीटर से अधिक वर्षा हो जाती है, जिस कारण भारी तबाही होती है।

मौसम विज्ञान के अनुसार जब बादल भारी मात्रा में पानी लेकर आसमान में चलते हैं और उनकी राह में कोई बाधा आ जाती है, तब वे अचानक फट पड़ते हैं, यानी संघनन बहुत तेजी से होता है। इस स्थिति में एक सीमित इलाके में कई लाख लीटर पानी एक साथ पृथ्वी पर गिरता है, जिसके कारण उस क्षेत्र में तेज बहाव वाली बाढ़ आ जाती है। भारत के संदर्भ में देखें तो हर साल मॉनसून के समय नमी को लिए हुए बादल उत्तर की ओर बढ़ते हैं। हिमालय पर्वत एक बड़े अवरोधक के रूप में इसके सामने पड़ता है। इसके कारण बादल फटता है।

पहाड़ ही नहीं कभी गर्म हवा का झोंका ऐसे बादल से टकराता है तब भी उसके फटने की आशंका बढ़ जाती है। उदाहरण के तौर पर 26 जुलाई 2005 को मुंबई में बादल फटे थे, तब वहां बादल किसी ठोस वस्तु से नहीं बल्कि गर्म हवा से टकराए थे।

2.मौत का कुआ अक्सर मेलों में  दिखाई देता है इस मौत के कुएं में एक चालक तेजी से मोटर साइकिल चलाते हुये उल्टा होने पर भी क्यों नहीं गिरता है?

 मौत के कुएं में चालक मोटर साइकिल को चलाते हुये उल्टा होने पर भी नहीं गिरने का कारण अपकेन्द्री बल है जिसके कारण किसी वस्तु को वृत्ताकार पथ पर तेजी से घुमाते हुये वृत्त के केंद्र से उसकी अधिक से अधिक दूरी बनाये रखता है। घूमने की गति जितनी तेज होगी यह अपकेन्द्री बल भी उतना ही अधिक होगा। मौत के कुएं में तेजी से मोटर साइकिल चलाते सवार का उल्टा  हो जाने पर भी अपनी सीट से चिपका रह पाना इस अपकेन्द्री बल के कारण ही सम्भव है।

 3. कई बार ऐसा होता है कि हमें देखने पर जो अनुभव होता है, वास्तविकता उससे बिलकुल भिन्न होती है।क्यों?

 कई बार ऐसा होता है कि हमें देखने पर जो अनुभव होता है , वास्तविकता उससे बिलकुल भिन्न होती है। ऐसी स्थिति को दृष्टि भ्रम कहते है। इसके कई कारण ही सकते हैं। कभी तो ऐसा होता है कि  आँखें किसी  चीज या दृश्य को ठीक से देखे बिना ही उसके बारे में गलत विवरण मस्तिष्क को भेज देती है। जिससे गलतफहमी पैदा हो जाती है या ऐसा भी होता है कि मस्तिष्क, आँखों द्वारा भेजे गये किसी विवरण पर बिना अधिक ध्यान दिये एक ऐसी धारणा बना लेता है जो सही नहीं है।