दोस्तो हम सब पदार्थ के बारे में जानते हैं, कण बारे में जानते हैं, लेकिन क्या आप यह जानते हो कि अपदार्थ क्या है, अकण क्या है, आज हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे, तो दोस्तो सबसे पहले हमे यह जान लेना चाहिए कि पदार्थ क्या है?
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पदार्थ क्या है?
मित्रो पदार्थ उसे कहते है, जिसमें कुछ द्रव्यमान, आयतन, जो कुछ जगह घेरे, जो कुछ रुकावट उत्पन्न करे पदार्थ कहलाती है।हम जानते है, की पदार्थ कण
से मिलकर बने होते हैं। अपादर्थ और अकण क्या है, यह जानने से पहले हमे कण के बारे में जान लेना चाहिए, दोस्तों कण दों टाइप के होते हैं।
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- फर्मियान
- बोसोन
मित्रो जो कण पदार्थ बनाते है, फर्मियन कहलाते है, जबकि दूसरे जो ऊर्जा को शक्ल देते हैं बोसोन कहलाते है।इलेक्ट्रॉन,प्रोटॉन,न्यूट्रॉन,यह सब फर्मियान है,और प्रकाश ये सब बोसोन है।इन दोनों के कण में मूल अंतर ये होता है,की फर्मियान में द्रव्यमान होता है और यह एक जगह नहीं पाए जाते हैं,यानी जिस जगह एक फर्मियान होगा वहा दूसरा फर्मियान नहीं होगा। जबकि बोसोन का कोई स्थिर द्रव्यमान नहीं होता है और यह एक जगह कई बोसोन रह सकते है।अब यह बात जाहिर है कि फर्मियान से बना कोई जिस्म है,और जिस जगह वह जिस्म है,तो उसी जगह फर्मियान से बना कोई दूसरा जिस्म नहीं होगा, उदहारण के तौर पर आप सिनेमा हौल में 30 नबर वाले सीट पर बैठ कर कोई मूवी देख रहे हो तो उसी हॉल में उसी समय और उसी जगह यानी 30 नंबर वाले सीट पर कोई दूसरे व्यक्ति नहीं बैठ सकता है।हमारा शरीर और पृथ्वी पर पाया जाने वाला सभी लगभग पदार्थ फर्मियान से ही बने होते है। वही दूसरी तरफ बोसोन की बात करे तो यह कण किसी जगह होने के बाद भी वह जगह खाली होती है और वह दूसरे फर्मियान या बोसोन आ सकती है।मिशाल के तौर पर प्रकाश।प्रकाश कि किरण किसी जगह से होकर गुजर रही है तो उसी जगह से कोई दूसरा प्रकाश कि किरण गुजर सकती है वह भी बिना किसी रुकावट उत्पन्न हुए।बोसोन किरणों की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि यदि इनके कण को रोक दिया जाए तो इसका द्रव्यमान शून्य हो जाएगा।
अब हम कण के बारे में जान गए हैं,अब हमे अपादार्थ और अकण क्या है,जान लेना चाहिए।
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अपदार्थ और अकण क्या है?
एक हावर्ड कॉलेज के प्रोफेसर होवर्ड जार्जी का एक शोधपत्र जारी हुआ जिसमें उन्होंने कुछ नए कण का आदिया पेश किया जो असल में कण नहीं थे,तो उन्होंने इसे अकण नाम दिया।इसमें खासियत यह है कि इसमें द्रव्यमान तो होता है पर बाकी गुण बोसोन की होती है,इसका मतलब यह है कि एक ही जगह,एक ही समय पर कई अकण रह सकते है।उस जगह का कुल द्रव्यमान उन अकण के सभी योगों के बराबर होता है।तो यह बात जाहिर है कि अकण से पदार्थ नहीं बनेगी बल्कि अपादर्थ बनेगी।हालांकि अपदार्थ पदार्थ के साथ बहुत कम संपर्क बनाते है,किन्तु इसकी संभावना हमेशा रहती है कि किसी घटना में वह किसी पदार्थिक जिस्म से संपर्क कर ले।जैसा कि भूतो की कहानियों में होता है।अपादर्थ के अपने भौतिक के नियम होते है जो पदार्थ भौतिक से अलग होते हैं।जैसे कि उनकी अन ग्रैविटी होती। है जों पदार्थ के ग्रैविटी से अलग होती हैं।अपदार्थ को पहचाना,परिभाषित करना बहुत ही मुश्किल होता है,क्योंकि इनकी पहचान लगातार बदलती रहती है,इसका द्रव्यमान,संवेग,आकार कुछ भी निश्चीत नहीं होता है। वर्तमान विज्ञान ब्रह्माण्ड के कुछ घटनाओं की व्याख्या करने के लिए डार्क मैटर का नजरिया देता है।यदि भूतो की अस्तित्व साबित हो जाए यानी उसे किसी प्रयोग में देख लिया जाए तो डार्क मैटर एक नया मोड़ ले लेगा,लेकिन अभी तक किसी भी साइंटिस्ट ने प्रयोग में नहीं देखा है।और यह अभी तक एक थिअरी ही है।
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