जादूगर की जादुई ट्रिक
जादू की रोमांचक दुनिया!
जादू एक ऐसा शब्द है, जो हर किसी को आकर्षिक करता है, फिर चाहे वह गांव का कोई अनपढ व्यक्ति हो अथवा कोई पढा लिखा विद्वान। आदि काल से ही जादू की कहानियां न सिर्फ पढी औरसुनी जा रही हैं, बल्कि लोग इन पर यकीन करते आ रहे हैं। आज के वैज्ञानिक युग में भी जब यह प्रमाणित हो चुका है कि जादू सिर्फ नजरों का धोखा और हाथ की सफाई का खेल है, इसपर बेशुमार लोग यकीन करते हैं।
जादू के प्रति समाज में इस अंधविश्वास का लाभ उठाकर जहां तमाम तरह के बाबा और तांत्रिक जैसे लोग लोगों को ठगते रहते हैं, वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो इसके सहारे वैज्ञानिक चेतना का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। ऐसे लोगों में से एक प्रतिष्ठित नाम है जॉन बर्डोन सैंडरसन हाल्डेन अर्थात जे0बी0एस0 हाल्डेन का।
जे0बी0एस0 हाल्डेन सही मानों में बहुशास्त्र ज्ञानी थे। वे अपने बारे में बताते हुए लिखते हैं- "मेरा विज्ञान सम्बंधी कार्य विविध रहा है। माव शरीर क्रिया विज्ञान के क्षेत्र में मानव शरीर पर अधिक परिमाण में अमोनियम क्लोराइड और ईथर साल्ट लेने के परिणाम सम्बंधी अपने कार्य के लिए मैं सर्वाधिक जाना जाता हूं। इसका प्रयोग लेड या रेडियम से हुए जहरबाद को ठीक करने के लिए होता है। आनुवांशिकी के क्षेत्र में मैं पहला ऐसा व्यक्ति था, जिसने स्तनपाई जीवों में सम्बंधों की खोज की, मानव गूणसूत्र का मानचित्रण किया एवं मानवी जीन में उत्परिवर्तन की दर का मापन किया। मैंने गणित में भी कुछ छोटी मोटी खोजें की हैं।"
एक वैज्ञानिक होने के साथ-साथ हाल्डेन एक कुशल विज्ञान संचारक भी थे और विज्ञान के लोकप्रियकरण के लिए जीवन पर्यन्त काम करते रहे। उन्होंने 400 से अधिक वैज्ञानिक शोध पत्र एवं असंख्य लोकप्रिय आलेख लिखे। इसके अतिरिक्त उनकी विज्ञान संचार सम्बंधी 24 पुस्तकें भी प्रकाशित हैं, जिनमें बच्चों के लिए विज्ञान कथाएं भी शामिल हैं।
"माई फ्रेन्ड मिस्टर लीकी" 1937 में प्रकाशित उनकी एक लोकप्रिय पुस्तक है, जिसमें विज्ञान चेतना के सूत्रों को जादू जैसे सुस्वादु मसाले के साथ प्रस्तुत किया गया है। अपने कथ्य एवं विषय वस्तु के लिए विश्व भर में चर्चित यह पुस्तक "मेरा दोस्त मिस्टर लीकी" विज्ञान प्रसार द्वारा वर्ष 2009 में पहली बार हिन्दी संस्करण के रूप में सामने आई है।
अपनी जबरदस्त कल्पना शक्ति और रोचक शैली के कारण हाल्डेन की यह पुस्तक वास्तव में एक अदभुत कृति है, जिसे एक बार पढने के बाद कोई भी पाठक बिना खत्म किये नहीं छोड सकता है। "चंद्रकान्ता" जैसी जादुई पृष्ठभूमि वाली इस किताब को पढते हुए पाठक एक अदभुत लोक में पहुंच जाता है और रोमांच का अनुभव करता है। लेखक द्वारा वर्णित पुस्तक का एक अंश देखें-
"इसके साथ ही मिस्टर लीकी ने अपने बडे बडे कान फडफडाएं। उनसे ताली बजने की सी आवाज आई पर उतनी तेज नहीं। तभी कोने में रखी तांबे की डेगजी, जैसी कि कपडे धोने की होती है, उसमें से कुछ निकला, एक पल के लिए तो वह मुझे कोई भीगा हुआ सांप लगा। तभी मुझे दिखा, उसके पूरी शरीर के एक तर फ चूसक हैं, वो दरअसल आक्टोपस की भुजा थी। उस भुजा ने एक अलमारी खोलकर बडी सी तौलिया निकाली और बाहर निकल आई। दूसरी भुजा को पोंछ कर सुखाया। सूखी भुजा दीपार पर चूसकों की मदद से चिपक गयी। फिर धीरे धीरे उस जानवर ने पूरा शरीर निकाला, उसे सुखाया औरदीवार पर रेंगने लगा।
मैंने इतना बडा आक्टोपस पहले नहीं देखा था, उसकी एक एक भुजा करीब आठ फुट लम्बी थी और बोरे जितना बडा उसका शरीर था। वह दीवार पर रेंगता हुआ छत पर जा पहुंचा, चूसकों की मदद से वह उससे मक्खी की तरह चिपका हुआ थाा जब वह मेज के ठीक ऊपर आ गया तो सिर्फ एक भुजा से टांग गया और दूसरी सात भुजाओं से बुक केस के ऊपर की अल्मारियों से प्लेट, कांटे, छूरे-चम्मचें निकाल कर उन्हें मेज पर सजाने लगा।" (पृष्ठ-5)
हाल्डेन कोई बेसिर पैर की जादुई गप्प नहीं हांकते हैं, वे वैज्ञानिक दृष्टिकोण के प्रति पूरी किताब में सजग रहते हैं और जगह जगह परोक्ष रूप से जादू के औचित्य पर प्रश्न चिन्ह भी छोडते चलते हैं-
"मेरे मेजबान ने कहा, "हाँ, अब्दुल मक्कार भला बंदा है और उसका दिल भी नेक है, पर अगर तुम्हें उसे वापस भेजने का मंत्र नहीं मालूम हो, तो वह परेशानी का सबस बन सकता है। मान लो तुम क्रिकेट खेल रहे हो और तेज गेंदबाज से मुकाबला हो, तभी वो बीच में आ टपके और फरमाने कि स्टंपों के रखवाले, हुक्म हो तो आपके दुश्मन का वध कर दूं या कहें तो उसे खुजली भरा बदसूरत बकरा बना दूं? तुम्हें पता है, मैं क्रिकेट देखने का शौकीन था, पर अब कहां देख सकता हूं। जरा सा जादू सारा मैच चौपट कर सकता है। पिछले साल मैं आस्ट्रेलिया के खिलाफ ग्लूसेस्टर का मैच देखने गया था और चूंकि ग्लूसेस्टरशायर से थोडी सी सहानुभूति थी मेरी, आस्ट्रेलिया के विकेट आंधी में पके आम की तरह टप टप टपक गये। अगर मैच खत्म होने के पहले ही मैं खिसक नहीं लिया होता, तो आस्ट्रेलिया की तो धुलाई हो गयी होती। इसके बाद तो मैं कोई टेस्ट मैच देखने नहीं जा सकता। आखिरकार, हर कोई चाहता है कि बढिया टीम जीते।" (पृष्ठ 17-18)
आलोच्य पुस्तक यूं तो 6 अध्यायों में विभक्त है, पर जब पाठक इन्हें पढना शुरू करता है, तो फिर एक अध्याय समाप्त हो जाने के बाद दूसरा कब शुरू कर देता है, यह उसे पता ही नहीं चलता। हिन्दी में विज्ञान संचार के दृष्टिकोण से अब तक जितनी भी पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, उनमें प्रभावोत्पादकता की दृष्टि से यह एक लाजवाब किताब है। इस अतुलनीय पुस्तक के प्रकाशन के लिए "विज्ञान प्रसार" की जितनी प्रशंसा की जाए कम है।
आपका इस पोस्ट के बारे में क्या विचार है हमे कॉमेंट द्वारा बताए
ब्रह्माण्ड की उत्त्पति और बिग बैंग
इसे भी पढ़ें
इसे भी पढ़े
कुते रात में क्यों रोते हैं?
बिल्ली को अशुभ क्यो माना जाता है?
क्या सूर्य अंतरिक्ष में जलता नहीं है? सूर्य के बारे में ऐसी बाते जो आप नहीं जानते हो
कुछ सवाल ऐसे भी जिसका जवाब विज्ञान के पास नही है?
चांद खोखला है! चांद के बारे में ऐसी बाते जो आप नहीं जानते हो।
मस्तिष्क के बारे में आश्चर्यजनक तथ्य हिंदी में
आश्चर्यजनक तथ्य भाग 3 हिंदी में
अद्भुत तथ्य भाग २
आश्यर्चजनक तथ्य
बिल्ली को अशुभ क्यो माना जाता है?
क्या सूर्य अंतरिक्ष में जलता नहीं है? सूर्य के बारे में ऐसी बाते जो आप नहीं जानते हो
कुछ सवाल ऐसे भी जिसका जवाब विज्ञान के पास नही है?
चांद खोखला है! चांद के बारे में ऐसी बाते जो आप नहीं जानते हो।
मस्तिष्क के बारे में आश्चर्यजनक तथ्य हिंदी में
आश्चर्यजनक तथ्य भाग 3 हिंदी में
अद्भुत तथ्य भाग २
आश्यर्चजनक तथ्य
#magic
0 टिप्पणियाँ